प्रिय पाठक,
अंकुरण के प्रत्येक संस्करण के भाति इस संस्करण में भी नन्हे लेखको , बाल कवियों और छोटे कलाकारों की रचनाएं सम्मिलित है बाल लेखक अपना विचार साझा करते हुए "नतिजा" नामक लेख लिखा है जो आपके छोटे- बड़े कर्मो के परिणाम पर विचार करने का अवश्य कहेगा । साथ ही "पुस्तक" नामक लेख मनुष्य के सबसे अच्छी मित्र किताब की अहमियत को पुनः जागृत करती है । "खुशी खुश है न" एक कहानी है जो आपको समाज के एक कड़वे दृश्य का दर्शन कराऐगी । इसके अलावा पत्रिका में नन्हे कलाकारों की कलाकारी को भी स्थान दिया गया है साथ ही देश के विभिन्न भागों से हमारे पाठकों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की है जो कि हमा रे नन्हे कवियों के साथ मिलकर अलग-अलग आयु वर्ग के कल्पनाओं को आपके समक्ष रखती है जिसमें "किसान" , "अब आया बसंत", "ओ गौरैया रानी" , "अक्सर मैने सोचा हैं" इत्यादि संकलित किए गए हैं आपके प्यारे 'गोलू भैया' से अपने सावल पूछे नहीं तो वो मना रहे है छुट्टी और कर रहे है आपके प्रश्न का इंतजार तो पूछिएगा जरूर "आखिर ऐसा क्यों होता है?"
प्रिय मित्रजनों आशा है नवीन और नन्हें हाथों की कला आपको भाएंगी और आपकी कलम को उठाने की प्रेरणा देगी, आपकी कल्पनाओं को आकार देने के लिए प्रेरित करेगी।
पढ़े और सबको पढ़ाए।
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