प्रिय पाठक,
अंकुरण के प्रत्येक संस्करण के भाति इस संस्करण में भी नन्हे लेखको, बाल कवियों और छोटे कलाकारों की रचनाएं सम्मिलित है बाल लेखक अपना विचार साझा करते हुए "इंसानियत" नामक लेख लिखा है जो जाती धर्म से पूर्व इंसानियत कि महत्ता को दर्शाता है, माता पिता कि डांट जीवन को सही दिशा दिखाती है जो बच्चों तुम्हें बंधन लगती है, जीवन कि डोर" नामक लेख आपको एक बार सोचने पर अवश्य मजबूर करेगी कि धागे से डोर बनती है या बंधन । साथ ही इतिहास मेल की रेल गाड़ी कि पुनः वापसी अतीत के पन्ने खंघालेगी। "भारत का बेटा" लेख भाव की पराकाष्ठा को पार करते हुए स्याही कि मदद से कागज पर उतरा है। इसके अलावा पत्रिका में नन्हे कलाकारों की कलाकारी को भी स्थान दिया गया है साथ ही देश के विभिन्न भागों से हमारे पाठकों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की है जो कि हमारे नन्हे कवियों के साथ मिलकर अलग-अलग आयु वर्ग के कल्पनाओं को आपके समक्ष रखती है जिसमें "माँ", "ज़िन्दगी", "युवा", "किसान", " अब वसंत आया" इत्यादि संकलित किए गए हैं आपके प्यारे गोलू भैया से अपने सावल पूछें नहीं तो वो मना रहे है छुट्टी और कर रहे है आपके प्रश्न का इंतजार तो पूछिएगा जरूर "आखिर ऐसा क्यों होता है?" प्रिय मित्रजनों आशा है नवीन और नन्हें हाथों की कला आपको भाऐंगी और आपकी कलम को उठाने की प्रेरणा देगी, आपकी कल्पनाओं को आकार देने के लिए प्रेरित करेगी।
पढ़े और सबको पढ़ाए।
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